हर औरत की अपनी अलग कहानी होती है…कोई खुशियों के साथ जिंदगी गुजारता है तो कोई गम में जिंदगी काटता है। किसी की कहानी खुशियों भरी है तो किसी की गम भरी है…लेकिन जिंदगी में बाकी लोगों के लिए प्रेरणा वो लोग बन जाते हैं जो कई कठिनाईयों को झेलने के बाद जिंदगी में कुछ बड़ा कर जाते हैं। इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं आयशा खान की।

सहारनपुर की रहने वाली आयशा खान ने 43 की उम्र में एडीजे की परीक्षा पास करके इतिहास रच दिया है। आयशा की शादीशुदा जिंदगी में 7 साल पहले जब परेशानी आई तब वो अपने दो बच्चों के साथ मायके आकर रहने लगी.. इनका बेटा इंटरमीडिएट और बेटी 8वीं कक्षा की छात्रा हैं।

जब वो पति से अलग हुई तब उनके पति ने दूसरी शादी कर ली जिसके बाद सारी जिम्मेदारी उनपर आने लगी… आयशा ने शादी के बाद भी सिविल सर्विसेज़ की प्रैक्टिस करना नहीं छोड़ा था। पति से अलग होने के बाद भी उनका ध्यान केवल पढ़ाई पर ही केंद्रित रहा… जिसकी मेहनत का नतीजा ये है कि 43 साल की उम्र में उन्होंने 7वीं रैंक लाकर झारखंड की HJS की परीक्षा पास कर एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के पद पर नियुक्ति पाई है। आपको बता दें कि आयशा ख़ान पेशे से वक़ील हैं।

ऐसा नहीं है कि आयशा ख़ान ने ये तरक्की एकाएक पा ली है बल्कि वो शुरू से ही पढ़ने में महनती रही हैं. आयशा के 10वीं में 69%, इंटरमीडिएट में 61%, BSC की परीक्षा में 73% और वर्ष 2002 में LLB में गोल्ड मेडल हासिल किया था। जिसके बाद उनकी शादी हो गई थी लेकिन आयशा लगातार अपनी प्रैक्टिस करती रही। साल 2022 में LLM की परीक्षा में 75% हासिल किए. वहीं अब झारखंड ADJ परीक्षा पास कर 7वीं रैंक हासिल की है. आयशा ख़ान 26 अप्रैल को जज के पद को ग्रहण कर लिया है. आयशा की कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणादायक है जो पतियों के अत्याचार से परेशान होकर ज़िंदगी को ख़त्म करने की सोच लेती हैं या उसे ही क़िस्मत मान लेती हैं।