भारतीय एथलेटिक्स के उभरते सितारों में से एक, ज्योति यार्राजी ने अपनी मेहनत, लगन और असाधारण प्रतिभा के दम पर एक बार फिर देश का नाम रोशन किया है। हाल ही में नेशनल गेम्स 2025 में देहरादून के गंगा एथलेटिक्स ग्राउंड में आयोजित महिलाओं की 100 मीटर हर्डल रेस में ज्योति ने 13.10 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस जीत के साथ उन्होंने न केवल अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ा, बल्कि भारतीय खेल प्रेमियों के दिलों में अपनी एक खास जगह भी बनाई। यह उपलब्धि न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक है, बल्कि भारतीय एथलेटिक्स के उज्ज्वल भविष्य की ओर भी इशारा करती है।
ज्योति यार्राजी का परिचय
ज्योति यार्राजी का जन्म 28 अगस्त, 1999 को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में हुआ था। सीमित संसाधनों के बीच पली-बढ़ी ज्योति ने अपनी शुरुआती जिंदगी में कई चुनौतियों का सामना किया। लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून और कुछ कर दिखाने की जिद ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दी। हर्डल रेस में उनकी विशेषज्ञता और तेजी ने उन्हें जल्द ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। आज वह भारत की सबसे तेज महिला हर्डलर के रूप में जानी जाती हैं।
स्वर्णिम सफलता की भूमिका
ज्योति की यह जीत कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन और कोचों के मार्गदर्शन का परिणाम है। नेशनल गेम्स 2025 में 100 मीटर हर्डल रेस में 13.10 सेकेंड का समय दर्ज करना उनके करियर का एक और शानदार अध्याय है। इससे पहले भी ज्योति ने कई मौकों पर अपने रिकॉर्ड तोड़े हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में नेशनल गेम्स में उन्होंने 12.79 सेकेंड में रेस पूरी कर इतिहास रच दिया था, जब वह पहली भारतीय महिला बनीं जिन्होंने 100 मीटर हर्डल्स को 13 सेकेंड से कम समय में पूरा किया। हालांकि, उस रिकॉर्ड को हवा की गति के कारण आधिकारिक मान्यता नहीं मिली, लेकिन उनकी प्रतिभा पर कोई सवाल नहीं उठा।
इस बार देहरादून में उनकी जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ज्योति न केवल अपनी सीमाओं को पार करने में सक्षम हैं, बल्कि वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं। इस स्वर्ण पदक ने उन्हें पेरिस ओलंपिक 2024 के बाद अब भविष्य के बड़े टूर्नामेंट्स के लिए और मजबूत दावेदार बनाया है।
भारतीय एथलेटिक्स में योगदान
ज्योति यार्राजी की सफलता भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण है। भारत में जहां क्रिकेट का बोलबाला रहा है, वहां ट्रैक और फील्ड इवेंट्स में ज्योति जैसी एथलीट नई पीढ़ी को प्रेरित कर रही हैं। उनकी उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि सही प्रशिक्षण, समर्थन और अवसर मिलने पर भारतीय खिलाड़ी विश्व स्तर पर अपना परचम लहरा सकते हैं।
उन्होंने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी छाप छोड़ी है। 2023 में थाईलैंड में आयोजित 25वीं एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर हर्डल्स में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने भारत का गौरव बढ़ाया था। इसके अलावा, 2024 में एशियाई इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 60 मीटर हर्डल्स में स्वर्ण पदक और नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड (8.12 सेकेंड) उनके करियर के सुनहरे पल रहे हैं।
चुनौतियों पर विजय
ज्योति की यात्रा आसान नहीं रही। चोटों और आत्मविश्वास की कमी जैसे मुश्किल दौर से गुजरने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उनके कोच जेम्स हिलियर ने उनकी शारीरिक और मानसिक मजबूती को निखारने में अहम भूमिका निभाई। ज्योति की मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें हर बाधा को पार करने की ताकत दी।