किरण मजूमदार-शॉ ने 1978 में बायोकॉन की शुरुआत की थी, जब वह सिर्फ पच्चीस साल की थीं और उन्होंने 10,000 रुपये की पूंजी के साथ किराए के गैरेज में काम किया था। कम अनुभव के साथ एक नवजात उद्योग में कंपनी शुरू करने से किरण मजूमदार-शॉ के सामने कई चुनौतियाँ और प्रतिकूलताएँ आईं। उन्हें बैंक ऋण जुटाने में कठिनाई हुई, सही प्रतिभाओं की भर्ती करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा और अन्य समस्याओं से पार पाना पड़ा। मजूमदार-शॉ ने वर्षों में उन प्रतिकूलताओं पर काबू पाया और आज बायोकॉन को 15.55 बिलियन रुपये से अधिक राजस्व वाली अग्रणी भारतीय बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बना दिया है।
भारत में कई महिलाएं हैं जो आज व्यापार व उद्योग जगत का बड़ा नाम हैं। वह देश की प्रतिष्ठित कंपनियों में बड़े पद पर कार्यरत हैं। कोई किसी कंपनी और हजारों कर्मचारियों का सहारा है तो कोई महिला अपने यूनिक बिजनेस आइडिया के कारण दुनियाभर में मशहूर है। इसी कड़ी में देश की पहली स्वनिर्मित अरबपति महिला की बात करें तो किरण मजूमदार शाॅ का नाम सबसे पहले आएगा। फोर्ब्स सूची में भारत की पांचवी सबसे अमीर महिला घोषित किरण मजूमदार शाॅ ने अपने दम पर यह मुकाम बनाया है। किरण मजूमदार शाॅ भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोकॉन की फाउंडर हैं। ये दवा उत्पादन के क्षेत्र की बड़ी कंपनी है। इस कंपनी की स्थापना 1978 में हुई थी। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। भारत की सबसे अमीर महिला किरण मजूमदार शाॅ की सफलता की कहानी जानिए।
किरण मजूमदार का जीवन परिचय
भारत की जानी मानी उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ का जन्म 23 मार्च 1953 को कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में हुआ था। उन्होंने बेंगलुरु के ही बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी की। जिसके बार बेंगलुरु विश्वविद्यालय से साल 1973 में बीएससी (जूलॉजी ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने वैलेरेट कॉलेज, मेलबर्न यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया से ‘मॉल्टिंग और ब्रूइंग’ विषय पर उच्च शिक्षा हासिल की।
किरण मजूमदार-शॉ
किरण मजूमदार के जीवन का टर्निंग पाइंट बनी दवा उत्पादन कंपनी बायोकॉन लिमिटेड। किरण मजूमदार बायोकॉन लिमिटेड की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। इस कंपनी की स्थापना किरण ने महज 1200 रुपये से 1978 में की थी। ये कंपनी एंजाइमों का विनिर्माण करने वाली भारत की पहली कंपनी थी, जो अमेरिका और यूरोप को दवा निर्यात करती थी। 1989 में बायोकॉन लिमिटेड भारत की पहली जैव प्रौद्योगिकी कंपनी बन गई। कंपनी एक के बाद एक कई रिकॉर्ड तोड़ते हुए साल 2003 तक मानव इंसुनिल विकसित करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई। आज यह कंपनी 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कंपनी बन चुकी है।