लोहड़ी और दुल्ला भट्टी की कहानी का क्या है बरसों पुराना कनेक्शन

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लोहड़ी खुशहाली का पर्व माना जाता है। साल के पहले माह यानि जनवरी में ये त्योहार मनाया जाता है। लोहड़ी के खास दिन पर अलाव जलाकर उसके इर्द-गिर्द डांस किया जाता है। इसी के साथ इस दिन दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने की भी परंपरा बरसों से चली आ रही है। लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व माना जाता है। चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है और इसका महत्व क्या है-

दुल्ला भट्टी की कहानी

कहा जाता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक आदमी पंजाब में रहा करता था। उस दौर में कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों की रक्षा की थी और उनकी शादी करवाई थी। कहते हैं तभी से हर साल लोहड़ी पर्व पर दुल्ला भट्टी को याद किया जाता है और उनकी याद में कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है।

लोहड़ी मनाने का कारण

पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुवाई और कटाई से जुड़ा एक खास त्योहार है। इस अवसर पर पंजाब में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है। इसके अलावा कई हिस्सों में माना जाता है यह त्योहार पूस की आखिरी रात और माघ की पहली सुबह की कड़क ठंड को कम करने के लिए मनाया जाता है।

लोहड़ी से जुड़ी परंपराएं

लोहड़ी के इस पावन अवसर के दिन अग्नि जलाने के बाद उसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं। वहीं इसके बाद सभी लोग अग्नि के गोल-गोल चक्कर लगाते हुए पारंपरिक गीत गाते हुए ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते इस पावन पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं।

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