जब सूर्य किसी राशि विशेष पर भ्रमण करता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है वहीं जब सूर्य मकर राशि में जाता है तब मकर संक्रांति का विशेष दिन मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस समय सूर्य उत्तरायण होता है इस समय किये गए जप और दान का फल कई गुना होता है। सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने की वजह से यह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी त्योहार पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं।

लगभग इसी समय से शुक्र का उदय भी होता है इसलिए मकर संक्रांति से शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। मकर संक्रांति में जहां कुछ कामों को करना अत्यंत शुभ माना गया है तो वहीं कुछ कार्यों को वर्जित किया गया है। आइए जानते हैं इस दिन भूलकर भी किन कामों को नहीं करना चाहिए।
कुछ लोगों की आदत होती है कि वो सुबह उठते ही चाय और स्नैक्स खाना शुरू कर देते हैं लेकिन शुभ दिन ऐसा बिल्कुल भी न करें। इस दिन बिना स्नान किए औऱ भगवान की पूजा किए बिना भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन गंगा या किसी नदी में जाकर स्नान करना चाहिए और अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो कम से कम घर पर स्नान जरूर करना चाहिए।

मकर संक्रांति प्रकृति के साथ जश्न मनाने का त्योहार है। इस दिन घर के अंदर या बाहर किसी पेड़ की कटाई-छंटाई भी नहीं करनी चाहिए।
मकर संक्रांति के दिन किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए। शराब, सिगरेट, गुटका आदि जैसे नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। इस दिन मसालेदार भोजन से भी दूरी बना कर रखनी चाहिए। इस दिन तिल, मूंग दाल की खिचड़ी इत्यादि का सेवन करना चाहिए और इन सब चीजों का दान भी करना चाहिए।
अगर आप सूर्य देव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो संध्या काल में अन्न का सेवन न करें। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पूजा-पाठ करें।
मकर संक्रांति के दिन गाय या भैंस का दूध नहीं दुहना चाहिए।
अगर मकर संक्रांति के दिन कोई आपके घर पर भिखारी, साधु या बुजुर्ग आता है तो उसे खाली हाथ ना लौटाएं और अपने सामर्थ्य के अनुसार उसे कुछ ना कुछ दान जरूर दें।
इस दिन भूलकर भी लहसुन- प्याज और मांस का सेवन न करें। मकर संक्रांति का त्योहार सादगी के साथ मनाएं। खाने में भी सात्विकता का पालन जरूर करें।
यह प्रकृति और हरियाली का पर्व है अत: इस दिन फसल काटने के काम को टाल देना चाहिए।
मकर संक्रांति के दिन अपनी वाणी पर संयम बनाएं रखें और गुस्सा बिल्कुल भी ना करें। किसी को भी कुछ गलत ना बोले सबके साथ मधुरता का व्यवहार करें।
करें खास चीजों का दान
तिल
शास्त्रों में मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहा जाता है और इस दिन तिल का खास महत्व होता है। मकर संक्रांति पर तिल के दान के साथ ही भगवान विष्णु, सूर्य और शनिदेव की तिल से पूजा-अर्चना की जाती है। इसी के साथ ही ब्राह्माणों को तिल से बनी चीजों का दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि शनि भगवान ने अपने क्रोधित पिता सूर्य देव की पूजा करने के लिए काले तिल का ही उपयोग किया था। जिससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने वरदान दिया था कि जब भी वह मकर राशि में आएंगे तो तिल से उनकी पूजा करने और तिल का दान करने से वह प्रसन्न होंगे। इस दिन तिल का दान करना बहुत फलदायी होता है और शनि दोष दूर होता है।

कंबल
मकर संक्रांति के शुभ मौके पर कंबल का दान जरूर करना चाहिए। इस दिन किसी गरीब जरूरतमंद या फिर किसी आश्रम में कंबल का दान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से आप राहु के अशुभ प्रभावों से दूर रहेंगे।

गुड़
ज्योतिषाचार्य के अनुसार गुड़ को गुरु की प्रिय वस्तु माना जाता है। गुड़ का दान करने के साथ ही इस दिन कुछ मात्रा में हम सभी को गुड़ खाना भी चाहिए। ऐसा करने से शनि, गुरु और सूर्य तीनों के दोषों से मुक्ति मिलती है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ के लड्डू या फिर गुड़ और मुरमुरे के लड्डू दान करना अच्छा माना जाता हैं।

खिचड़ी का दान
मकर संक्रांति को प्रमुख तौर पर खिचड़ी बनाने की बहुत पुरानी परंपरा है और इस दिन खिचड़ी का दान करने का विशेष महत्व भी माना गया है। इस दिन चावल और उड़द की काली दाल का दान खिचड़ी के रूप में किया जाता है। उड़द का संबंध शनि देव से माना जाता है और इसका दान करने से शनि दोष दूर होते हैं। वहीं चावल को अक्षय अनाज माना जाता है। चावल को दान करने से आपको अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
