National Doctors Day 2024 :  9 साल की उम्र में हुई शादी और 14 साल में बनी मां, 21 साल ही जी पाई थी पहली भारतीय महिला डॉक्टर !

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देश भर में आज शिक्षा का स्तर पहले के मुकाबले काफी सुधर गया है, खासकर महिलाओं की शिक्षा के बारे में। महिलाएं अब जमीन से लेकर आसमान तक हर जगह अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं, लेकिन आज से करीब एक सदी पहले लड़कियों का स्‍कूल जाना एक सपना देखने जैसे था। उस दौर में क्‍या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई भारतीय महिला डॉक्टर बनकर इतिहास रचेगी।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी महिला के बारे में जो उस समय की कठिन परिस्थितियों में न केवल शिक्षा हासिल की, बल्कि उसने भारत की पहली डॉक्‍टर बनकर इतिहास रच दिया। इस महान महिला का नाम है आनंदीबाई जोशी। जिस दौर में महिलाओं को घर से निकलने भी नहीं दिया जाता था, उन दिनों  आनंदीबाई जोशी ने विदेश जाकर मेडिकल की पढ़ाई करके भारत की पहली महिला डॉक्टर बनी।

आनंदीबाई जोशी पुणे शहर में जन्‍मी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने  विदेश जाकर डॉक्‍टरी की डिग्री हासिल किया। उनका विवाह नौ साल की अल्‍पायु में उनसे करीब २०  साल बड़े गोपालराव से हो गया था। जब 14 साल की उम्र में वे माँ बनीं और उनकी एकमात्र संतान की मृत्‍यु १०   दिनों में ही गई तो उन्‍हें बहुत बड़ा सदमा लगा। अपनी संतान को खो देने के बाद उन्‍होंने यह प्रण किया कि वह एक दिन डॉक्‍टर बनेंगी और ऐसी असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी।

आनंदी ने मात्र १९  साल की उम्र में एमडी की डिग्री हासिल  किया और अपना चिकित्सा प्रशिक्षण शुरू कर दिया।  वह पहली भारतीय महिला थीं, जिसे यह डिग्री मिली। जब आनंदी बाई भारत लौटी तो वेह  डाक्टरी की प्रैक्टिस के दौरान टीबी की बीमारी की शिकार हो गईं। और २६  फरवरी १८८७  में महज २२  साल की उम्र में  बीमारी के कारण आनंदीबाई की मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु पर पूरे भारत ने  शोक व्यक्त किया गया।

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