सिमरन शर्मा, एक दृष्टिबाधित भारतीय पैरा-एथलीट, ने अपनी मेहनत, लगन और परिवार के समर्थन से विश्व चैंपियन बनने का सफर तय किया। उनका जन्म 9 नवंबर 1999 को दिल्ली के बुराड़ी में हुआ था। वह समय से पहले (6.5 महीने में) पैदा हुई थीं और जन्म से ही उनकी दृष्टि कमजोर थी। उनकी आंखें केवल 6 फीट तक ही देख पाती थीं, जिसके कारण बचपन में उन्हें पड़ोसियों और सहपाठियों से ताने और मजाक का सामना करना पड़ा। लेकिन इन मुश्किलों ने उनके हौसले को कम नहीं किया।
पति ने किया भरपूर सपोर्ट
सिमरन की जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया जब उनकी मुलाकात गजेंद्र सिंह से हुई, जो बाद में उनके कोच और पति बने। गजेंद्र, जो भारतीय सेना में कार्यरत थे, ने कॉलेज में सिमरन को दौड़ते हुए देखा और उनकी प्रतिभा को पहचाना। उन्होंने सिमरन को प्रशिक्षण देना शुरू किया। शुरुआत में उनके पास ट्रेनिंग के लिए संसाधन नहीं थे, लेकिन गजेंद्र ने अपनी जमीन बेचकर और कर्ज लेकर सिमरन के सपनों को पूरा करने में मदद की। सिमरन ने अपने पति के मार्गदर्शन में कड़ी मेहनत की और पैरा-एथलेटिक्स में अपनी जगह बनाई।
कई प्रतियोगिताओं में सिमरन ने लिया भाग
सिमरन ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। उनकी पहली बड़ी सफलता 2021 में आई, जब वह टोक्यो पैरालंपिक्स के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। हालांकि वहां उन्हें पदक नहीं मिला, लेकिन यह उनके लिए एक प्रेरणा बना। इसके बाद, 2023 में हांगझू एशियाई पैरा खेलों में उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर टी12 स्पर्धाओं में दो रजत पदक जीते।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2024 में जापान के कोबे में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में आई। सिमरन ने महिलाओं की 200 मीटर टी12 स्पर्धा में 24.95 सेकंड के निजी सर्वश्रेष्ठ समय के साथ स्वर्ण पदक जीता। इस जीत ने उन्हें विश्व चैंपियन का खिताब दिलाया और भारत के लिए पेरिस 2024 पैरालंपिक्स का कोटा भी हासिल किया। इस स्पर्धा में उन्होंने डोमिनिका की डार्लेनीस डे ला सेवेरिना और ब्राजील की लॉरेन गोम्स डी अगुइयार को पीछे छोड़ा।
क्या है सिमरन की सफलता का राज
सिमरन की सफलता का राज उनकी अडिग मेहनत, गजेंद्र का समर्पण और परिवार का साथ था। चोटों और आर्थिक तंगी जैसी चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। 2024 में पेरिस पैरालंपिक्स में भी उन्होंने 200 मीटर टी12 में कांस्य पदक जीता, जिससे उनकी उपलब्धियों में एक और अध्याय जुड़ गया। आज सिमरन न केवल एक विश्व चैंपियन हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं।