राजस्थानी व्यंजन स्वाद और विपरीतता से भरे हुए हैं। इसका स्वाद तीखा होता है और कई व्यंजनों में मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। राजस्थानी व्यंजन अपने शाकाहारी व्यंजन और दालों के लिए लोकप्रिय है, और मिठाई इसका एक बड़ा हिस्सा है। मरुस्थलीय जलवायु मसालों की खेती के लिए उत्तम है और राजस्थान दूध के व्यंजनों के लिए भी उत्तम वातावरण प्रदान करता है।
शाही गट्टे
बेसन को मसालों के साथ मिलाकर गूथा जाता है। फिर इनको रोल्स का आकार दिया जाता है और फिर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर तेल में फ्राई किया जाता है। कटे हुए सूखे मेवे डाले जाते हैं और प्याज के पेस्ट के साथ गट्टा पकाया जाता है।

मछली जयसमंदी
उदयपुर ज़िले की जयसमंद झील में पाई जाने वाली मछली के छोटे टुकड़ों को हरी चटनी और दही के साथ मैरिनेट करने के लिए 2-3 घन्टे रखा जाता है। फिर इसे लहसुन, प्याज, अदरक के मसाले में फ्राई किया जाता है। मसालेदार चटपटी ग्रेवी में पका यह व्यंजन आपकी भूख को और बढ़ा देते हैं। यह राजस्थानी व्यंजन चावल या रोटी के साथ परोसा जाता है तथा हरा धनिया व पोदीना इसका स्वाद दोगुना कर देते हैं।

कैर सांगरी
राजस्थान की मरू भूमि पर उगने वाला खेजड़ी का पेड़ जानवरों के चारे के अलावा मरूस्थल में हमारी रसोई में पकाई जाने वाली स्वादिष्ट सांगरी भी देता है। एक अन्य झाड़ी में उगने वाला कैर तथा सांगरी का मज़ेदार व्यंजन, लाल मिर्च, अजवाईन, नमक, हल्दी, ज़ीरा आदि के साथ पकाया जाता है। यह व्यंजन स्वादिष्ट मसालेदार, चटपटा होता है तथा सूखा बनाया जाता है, जिससे इसे काफी दिनों तक रख कर खाया जा सकता है। मारवाड़ी शादियों में इस सब्जी को अवश्य परोसा जाता है तथा यह राजस्थान का मूल रूप से असली भोजन माना जाता है।

सफेद मांस (व्हाइट मीट)
राजस्थान के अधिकतर घरों में, व्हाइट मीट को ’रॉयल लैम्ब कोरमा’ के नाम से जाना जाता है। यह मज़ेदार मांस मेमने का होता है तथा इसमें डलने वाले मसाले, जिनमें प्याज़, लहसुन, अदरक, काली मिर्च, गरम मसाला, इलायची होते हैं जो कि इसकी क्रीमी सॉस करी को बहुत ज़ायकेदार बना देते हैं।
