1- जब भारत 1965 में अनाज की कमी का सामना कर रहा था, तब तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने लोगों से गेहूं या चावल खुद उगाने की गुजारिश की थी। लोगो के सामने एक उदाहरण पेश करने के लिए उन्होंने दिल्ली के जनपथ में अपने आधिकारिक बंगले में गेहूं उगाना आरंभ किया था। उनके निधन के कई माह बाद, उनकी पत्नी ललिता शास्त्री को उनके द्वारा लगाई गई फसल को काटते हुए आप देख सकते हैं।

2- इस करेंसी में आप देख सकते है कि एक तरफ सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर और दूसरी तरफ हिंदी में ‘स्वतंत्र भारत’ लिखा है। साथ ही इसपर भारत का स्वतंत्रता से पहले का नक्शा भी था और बीच में अंग्रेजी में ‘जय हिंद’ लिखा हुआ था । नोट के ऊपर की ओर आपको आजाद हिंद फौज के झंडों की एक श्रंखला दिखाई दे जाएगी, जिस पर बोल्ड में लिखा है ‘बैंक ऑफ इंडिपेंडेंस’ और नीचे ‘शुभकामनाएं’ लिखा हुआ है।

3- इस फोटो में आप उन काबिल पुरुषों को देख सकते हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में अपनी अविश्वसनीय नजरिये और तेज दिमाग से अलग पहचान बनाई। इस फोटो में आप अल्बर्ट आइंस्टीन (सापेक्षता के सिद्धांत देने वाली शख्सियत), युकावा (नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले जापानी) और जॉन व्हीलर (जिन्होंने ‘ब्लेक होल’ शब्द दिया) के साथ होमी भाभा को एक फ्रेम में देख सकते हैं।

4- इस फोटो में आप, जेआरडी टाटा को बहन सिला के साथ देख सकते हैं। ये इन दोनो की जापान की तस्वीर है। एक दिलचस्प किस्सा यह है कि उन्होंने 1918 में भारत वापस आने के समय एक जापानी नाव पर 10 दिन बिताए थे और उस दौरान टाइपिंग सीखी थी। उस वक्त सीखी गई टाइपिंग का लाभ उन्हें सालों बाद तब मिला, जब उन्होंने टाटा साम्राज्य का नेतृत्व किया।

5- 1990 में गद्दी पर विराजमान होने के बाद, जयचमराजा वाडियार मैसूर के ‘मानवतावादी’ महाराजा के रूप में काफी प्रसिद्ध हो गए। उनके शासन के दौरान, मैसूर का तेजी से औद्योगीकरण हुआ और शैक्षणिक संस्थानों में कई गुना इजाफा हुआ। इसके साथ ही, वह अपने शासन और अपने कर्नाटक संगीत कृतियों के लिए जाने जाते थे। वह कला और संगीत के प्रबल संरक्षक थे। नवगठित भारतीय संघ में विलय करने वाले पहले शासक के रूप में, राज्य को मुफ्त में 700 एकड़ जमीन देकर एचएएल (हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड) कारखाने की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें याद किया जाता है।

6- भारत में पहली बार 1906 में फ्री और अनिवार्य प्राइमरी शिक्षा बड़ौदा राज्य में आरंभ की गई थी। इस फोटो में, आप किताबों से भरा वाहन देख सकते हैं। चौकाने वाली बात यह है कि यह तस्वीर ऐसे समय में ली गई थी, जब मोटर चालित वाहन बहुत यूनिक माने जाते थे। बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III ने 500 सार्वजनिक मोबाइल पुस्तकालयों का आरंभ किया था।
