लखनऊ। अक्सर घरों में चावल पकाते समय निकलने वाले पानी यानी माढ़ को लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक यह माढ़ खासकर 1 से 3 साल तक के छोटे बच्चों के लिए अमृत से कम नहीं है। यह न केवल बच्चों को तुरंत ऊर्जा देता है बल्कि डायरिया, कब्ज और आंतों की जलन जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में भी मददगार साबित होता है।
क्या है चावल का माढ़?
जब हम खुले बर्तन (पतेले) में चावल पकाते हैं तो उबाल आने के बाद उसमें से जो पानी अलग होता है, उसी को चावल का माढ़ कहा जाता है। इसी पानी में चावल के अधिकांश पोषक तत्व घुल जाते हैं, जो छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी हैं। यही कारण है कि अब स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इस माढ़ को बच्चों को नियमित रूप से पिलाने की सलाह दे रहे हैं।
छोटे बच्चों के लिए क्यों खास है माढ
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि 1 से 3 साल की उम्र में बच्चे तेजी से बढ़ते हैं और उन्हें अधिक ऊर्जा व पोषण की आवश्यकता होती है। अक्सर इस उम्र में बच्चे सही मात्रा में पानी नहीं पीते और खाने-पीने में भी नखरे करते हैं। ऐसे में चावल का माढ़ उन्हें हाइड्रेशन के साथ-साथ अतिरिक्त पोषण भी देता है।
- एनर्जी का खजाना
छोटे बच्चों को रोजाना ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है ताकि उनकी ग्रोथ सही ढंग से हो सके। चावल का माढ़ कार्बोहाइड्रेट और अमीनो एसिड से भरपूर होता है, जो बच्चों को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। नियमित रूप से माढ़ देने से उनकी एक्टिविटी और ग्रोथ दोनों बेहतर होती है।
- डिहाइड्रेशन से बचाव
1 से 3 साल के बच्चों में अक्सर पानी पीने से इनकार करने की आदत होती है। इससे उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है और डिहाइड्रेशन की स्थिति बन जाती है। ऐसे में चावल का माढ़ एक बेहतर विकल्प है। यह बच्चों के शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है और उन्हें लंबे समय तक हाइड्रेटेड रखता है।
- डायरिया और पेट की समस्याओं में राहत
डायरिया, कब्ज और पेट दर्द जैसी समस्याएं छोटे बच्चों में आम हैं। ऐसे समय में चावल का माढ़ बहुत कारगर साबित होता है। इसमें मौजूद गुण आंतों को ठंडक देते हैं और दस्त को रोकने में मदद करते हैं। डायरिया के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर बच्चे को हल्का गुनगुना माढ़ पिलाना बेहद फायदेमंद माना जाता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाए
छोटे बच्चों का पाचन तंत्र काफी नाजुक होता है और उन्हें हल्का भोजन ही पचता है। चावल का माढ़ हल्का होने के कारण आसानी से पच जाता है। यह पेट की जलन को भी कम करता है और आंतों को आराम पहुंचाता है।
बच्चों को माढ़ पिलाने का सही तरीका
विशेषज्ञों के मुताबिक माढ़ हमेशा ताजा और हल्का गुनगुना ही पिलाना चाहिए। इससे बच्चा इसे आसानी से पी सकेगा। इसमें नमक या मसाले बिल्कुल न डालें, क्योंकि छोटे बच्चों का पाचन तंत्र नाजुक होता है। शुरुआत में बच्चे को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही माढ़ दें ताकि वह इसके स्वाद और आदत को अपना सके। जब बच्चा इसे ठीक से पीने लगे तो धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाई जा सकती है। ध्यान रखें कि बच्चा 6 महीने से बड़ा होना चाहिए। 6 महीने से पहले केवल मां का दूध ही सबसे सुरक्षित और पोषण से भरपूर आहार है।
किफायती और प्राकृतिक उपाय
चावल का माढ़ एक बेहद सस्ता, प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है बच्चों को एनर्जी और पोषण देने का। यह न केवल उनके शरीर को ताकत देता है बल्कि पेट की कई समस्याओं से भी बचाता है। अगली बार जब आप चावल पकाएं तो उसके माढ़ को बेकार समझकर न फेंकें, बल्कि इसे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए इस्तेमाल करें।