मकर संक्रांति पर आखिर क्यों पहने जाते हैं काले कपड़े

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भारत एक ऐसा देश है जिसे त्योहारों के देश के नाम से भी जाना जाता है यहां त्योहारों को बड़े ही पारंपरिक ढ़ंग से और अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। भारतीय त्योहारों में से एक खास त्योहार है मकर संक्रांति का त्योहार। जिसे भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है जैसे पंजाब में इसे लोहड़ी और तमिल में पोंगल के नाम से जाना जाता है।

नाम भले ही इसके कई हो लेकिन इसे मनाने का तरीका हर जगह एक ही है। यह त्योहार बड़े ही हर्षो-उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन लोग नए नये कपड़े पहनते हैं घर में पकवान बनाते हैं और बच्चे और बड़े सब मिलकर पतंग उड़ाते हैं।

इस त्योहार पर तिल और गुड़ के लड्डू बनाने की परंपरा हैं। इसी के साथ घर की महिलाएं इस दिन हल्दी और कुमकुम का मिश्रण तैयार करती हैं और पूजा के बाद घर के बाकी सदस्यों के माथे पर इसका टीका लगाती हैं और उन्हें शुभकामनाएं देती हैं।

वैसे तो त्योहारों पर काले कपड़े पहनना वर्जित माना जाता है लेकिन इस दिन अधिकतर लोग काले रंग के कपड़े पहनते हैं आइये जानते हैं आखिर क्यों मकर संक्रांति के दिन लोग काले कपड़े पहनते हैं।

मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्य उत्तर दिशा में प्रवेश करता है इस वजह से ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सर्दियों का मौसम समाप्त हो जाता है और पतझड़ शुरू हो जाता है। इस दिन के ठीक कुछ दिन पहले सीजन की सबसे ज्यादा ठंड पड़ती है और विज्ञान के हिसाब से ऐसा माना जाता है कि काला रंग गर्मी को अपने अंदर सोख लेता है जिससे शरीर में गर्मी बनी रहती है। इसलिए लोग इस दिन काले रंग के कपड़े पहनते हैं जिससे वे सर्दी से अपना बचाव कर सके और ठीक से त्यौहार मना सकें। हालांकि यह काले कपड़े वाला नियम सिर्फ महाराष्ट्र के लोग ही मनाते हैं बाकी जगहों पर ऐसा नहीं करते हैं। देश के बाकी हिस्सों में लोग इस दिन रंग बिरंगे कपड़े पहनकर इस त्यौहार का आनंद लेते हैं।

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