BHAIRAV ASHTMI : सनातन धर्म में कालाष्टमी के व्रत का विशेष महत्त्व होता है। इसे कई लोग काल भैरव जयंती के नाम से भी जानते है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कालाष्टमी का व्रत , मार्गशीर्ष के महीने में 5 दिसंबर को मनाई जाएगी। कालाष्टमी के दिन काल भैरव यानी कि भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है।
वैसे तो कालाष्टमी का व्रत हर महीने होता है, परन्तु मार्गशीर्ष महीने में इस व्रत का अलग ही महत्व है। मान्यताओ के अनुसार जो व्यक्ति मागशीर्ष माह में कालाष्टमी के दिन निस्वार्थ भाव से भगवान शिव की पूजा करता है, उसपर हमेशा देवो के देव महादेव की कृपा रहती है और साथ ही उसके जीवन में आ रही सभी बाधाएं, दुख दूर हो जाती हैं। अब बात करे यदि कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा कैसे करते है?बता दे कि सबसे पहले आप ब्रह्म मुहू्र्त में उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें।
आप इस दिन काले रंग का वस्त्र धारण कर सकते हैं। उसके बाद मन में कालभैरव का ध्यान करते हुए गंगाजल लेकर व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद आप कालभैरव की प्रतिमा /तस्वीर को एक साफ चौकी पर रखें और उनके सामने धूप, दीप जलाकर काल भैरव को दही, बेलपत्र, फूल, धतूरा, पंचामृत आदि अर्पित करें।
कालभैरव की पूजा नियमानुसार करें और मंत्रों का जाप करें। आखिर में आरती करें और आशीर्वाद लें। इसके साथ ही जब आप संध्या के समय कालभैरव की आरती करे , तो आरती करने के बाद फलाहार ग्रहण करें। अगले दिन आपको व्रत का पारण और दान अवश्य देना चाहिए , ऐसा करने से आपका व्रत सफल होता है , और आपको पुण्य की प्राप्ति होती है।