Harshika Rikhadi Yoga: 7 साल की हर्षिका ने कैसे बनाई योग क्षेत्र में पहचान

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हर्षिका रिखाड़ी एक उभरती हुई युवा प्रतिभा हैं, जिन्होंने योग के क्षेत्र में अपनी असाधारण क्षमता से देश का नाम रोशन किया है। वे उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर की रहने वाली हैं और मात्र 7 साल की उम्र में उन्होंने योग के क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली है। हर्षिका ने हाल ही में राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता में दो स्वर्ण पदक जीते, जिससे न केवल उनके परिवार और क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई, बल्कि पूरे देश में उनकी प्रतिभा की चर्चा होने लगी।

हर्षिका का परिचय
हर्षिका रिखाड़ी का जन्म हल्द्वानी के रामपुर रोड बंदोबस्ती क्षेत्र में हुआ। वे कक्षा 3 की छात्रा हैं और छोटी उम्र से ही योग और जिम्नास्टिक में रुचि रखती हैं। उनके पिता भुवन रिखाड़ी और माता मोनिका रिखाड़ी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रोत्साहित किया। हर्षिका वर्तमान में एक्शन वर्ड जिमनास्टिक एवं योगा एकेडमी, हल्द्वानी में कोच नीरज धपोला के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण ले रही हैं।

राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता में उपलब्धि
हर्षिका ने 26 और 27 अक्टूबर, 2024 को उत्तर प्रदेश के सकौती टांडा में भारत योग स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित नेशनल योगा चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में देश भर से आए प्रतिभागियों के बीच हर्षिका ने ट्रेडिशनल योग और आर्टिस्टिक योग, दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक हासिल किए। उनकी इस शानदार उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि उम्र महज एक संख्या है, जब बात प्रतिभा और मेहनत की आती है।

पहले भी जीत चुकी हैं कई पदक
हर्षिका की यह पहली बड़ी सफलता नहीं है। वे अब तक जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की योग प्रतियोगिताओं में लगभग दो दर्जन पदक जीत चुकी हैं, जिनमें 8 स्वर्ण पदक शामिल हैं। इसके अलावा, सितंबर 2024 में दिल्ली के लाजपत भवन ऑडिटोरियम में आयोजित राष्ट्रीय योग महाशिखर सम्मेलन में उन्हें “योग रत्न” सम्मान से भी नवाजा गया। हर्षिका ने सूर्य नमस्कार प्रतियोगिता में 2 मिनट में 24 सेट आसन कर गोल्ड मेडल जीता और आर्टिस्टिक योग में देश में तीसरा स्थान भी हासिल किया है।

भविष्य की उम्मीदें
हर्षिका का सपना अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना और स्वर्ण पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाना है। उनकी अगली चुनौती अगस्त 2024 में श्रीलंका के कोलंबो में होने वाली इंटरनेशनल योग प्रतियोगिता है, जिसमें उनका चयन हो चुका है। उनके कोच और परिवार को पूरा भरोसा है कि हर्षिका भविष्य में भी अपनी मेहनत और लगन से देश का नाम ऊंचा करेगी।

प्रेरणा का स्रोत
हर्षिका रिखाड़ी की कहानी नन्ही उम्र में बड़े सपने देखने और उन्हें हासिल करने की प्रेरणा देती है। उनकी सफलता यह दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन, पारिवारिक समर्थन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। हल्द्वानी की इस “रबड़ की गुड़िया” ने योग के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है और वे नई पीढ़ी के लिए एक मिसाल बन रही हैं।
हर्षिका की यह उपलब्धि न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। उनकी प्रतिभा और समर्पण को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि वे भविष्य में और भी बड़ी सफलताएं हासिल करेंगी।

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