ट्रांसजेंडर(Transgender), हिजड़े, किन्नर या फिर छक्के.. ये कुछ चुनिंदा शब्द हैं जो मर्द और महिला से इंसानों के एक अलग जेंडर को डिनोट करती है। लेकिन जब भी इनकी बात होती है तो सिर्फ मजाक ही बनता है। मतलब थर्ड जेंडर को सोसायटी में वो जगह नहीं मिली है जो किसी महिला या पुरूष को दी जाती है। अक्सर इन लोगों की जिंदगी बड़ी ही दिक्कतों से भरी होती है। सोसायटी इन्हें अपने बीच एक्सेप्ट नहीं करती। ऐसे में ज्यादातर किन्नर समाज की मुख्यधारा में सिर्फ कुछ हद तक ही जुड़े हुए दिखते हैं। लेकिन अब वक्त बदल रहा है। ऐसे में किन्नर समाज अपनी कामयाबी की कहानी अब खुद लिख रहे हैं ओर उनकी स्टोरी लोगों को इंस्पायर कर रही है। तो आपको कुछ ट्रांसजेंडर वीमेन के बारे में बताते है जिन्होंने भारत का इतिहास बदला :
कल्कि सुब्रमण्यम (India’s First Transgender businesswomen)
ट्रांसजेंडर ,जो एक लेखिका, मीडिया पर्सनालिटी, एक्टर के साथ-साथ भारत की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और अपने समुदाय के लिए उन्होंने काफी काम किया है। कल्कि विश्व प्रसिद्ध हॉर्वड यूनिवर्सिटी में वक्ता भी रही हैं।पत्रकारिता में अपनी मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद, ट्रांसजेंडर समुदाय तक पहुंचने और उनका समर्थन करने के लिए कल्कि ने सहोदरी (या “बहन”) नामक एक पत्रिका शुरू की जिसमे लोगों को मानसिक स्वास्थ्य, परिवर्तन और उनके सम्मान के अधिकार के बारे में शिक्षित करने के लिए तस्वीरों, कला और पाठ का उपयोग किया।कुछ ही वर्षों में, सहोदरी फाउंडेशन की स्थापना हुई और 2014 में, कड़ी लड़ाई के बाद एक मील का पत्थर जीत हुई जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अंततः ट्रांसजेंडर लोगों को “तीसरे लिंग” के रूप में मान्यता दी।
गौरी सामंत (LGBTQ Rights Activist)
मुंबई की ट्रांसजेंडर गौरी सावंत की लाइफ में कई ट्विस्ट आ चुके हैं। माता-पिता ने गौरी को गणेश नंदन नाम दिया था। गौरी घर से भागे हुए ट्रांसजेंडर्स के लिए मलाड के मलवाणी में ‘सखी चार चौगी’ नाम से आश्रय स्थल चलाती हैं।एक इंटरव्यू के दौरान गौरी ने बताया था की , उनके घर से भाग जाने के बाद उनके पेरेंट्स ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। उन्होंने 2009 में ट्रांसजेंडर्स को मान्यता दिलाने के लिए अदालत में पहला हलफनामा दाखिल किया था। नाज फाउंडेशन ने उनकी अपील को आगे बढ़ाया, जिसे नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने जनहित याचिका का रूप दे दिया | इस याचिका की सुनवाई के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को कानूनी पहचान दी।
पद्मिनी प्रकाश (Indias First Transgender Anchor)
13 साल की उम्र में पद्मनी प्रकाश को जब आपने ट्रांसजेंडर होने का पता चला तो उन्होंने आपने घर चोर दिया | किसी तरह घर छोड़ने के बाद पद्मिनी ने पढाई पूरी की, फिर आगे की पढाई के लिए उनके पति ने उनको प्रेरित किया , पद्मिनी को तमिल न्यूज चैनल लोटस न्यूज ने अपने यहां एंकरिंग के लिए रखा और पहला न्यूज बुलेटिन 15 अगस्त 2014 को प्रसारित हुआ। इस तरह पद्मनी भारत की पहली ट्रांसजेडर न्यूज एंकर बन गईं और अब पद्मिनी फिलहाल पीएचडी करने कर रही है औरतमिलनाडु की पहली फुलटाइम पीएचडी स्कॉलर बनेंगी।

अंजलि अमीर (First Transgender Heroin in India)
एक मुस्लिम परिवार में जन्मी अंजलि का नाम पहले जमशीर था | ट्रांसजैंडर होने का पता चलते ही अंजलि ने घरबसे भागने का फैसला किया , फिर वह चिन्नई पहुँच गई जहा उनको अन्य किन्नरों की तरह भीख मांगनी पड़ी और फंक्शन्स में डांस भीकरना पड़ा | अंजलि ने कॉल सेंटर से लेकर पार्लर तक में काम किया ,उनका समय तब बदला जब वो मिस कोयंब्टूर और मिस स्पेनडीड इंडिया 2015 बनी। इसके बाद मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार ममूटी ने उन्हें अपने संग अपनी फिल्म पेरान्बू में काम करने का मौका दिया।अंजलि ने अपनी मेहनत से एक इतिहास बनाया और मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में पहली ट्रांसमहिला एक्ट्रेस बानी |
